महात्मा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय
प्राचार्य
महात्मा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्रथम कड़ी में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखता है। इसका श्रेय महाविद्यालय के सुयोग्य, कर्मठ एवं दृढ़ व्यक्तित्व के धनी श्री अभय प्रताप सिंह जी सचिव प्रबंध समिति को जाता है। जिनकी उच्च शिक्षा के प्रति उत्कृष्ट ललक ने इस महाविद्यालय की नींव रखी। आपके दृढ़ संकल्प एवं अथक प्रयासों से इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय द्वारा सम्बद्ध महाविद्यालय में स्नातक स्तर में कला संकाय के अन्तर्गत हिन्दी साहित्य, अंग्रेज़ी साहित्य, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र एवं गृहविज्ञान विषयों की मान्यता एवं विज्ञान संकाय के अन्तर्गत रसायन विज्ञान, गणित, भौतिक विज्ञान, जन्तु विज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान की मान्यता प्राप्त हुई।
आपके सतत् प्रयासों से महाविद्यालय प्रगति पथ पर अग्रसर है, आपकी वृहद छत्र-छाया एवं कुशल नेतृत्व में निरन्तर विकासमान है। आपके कुशल नेतृत्व में महाविद्यालय निरन्तर शोधपरक, ज्ञानवर्द्धक क्रियाकलापों में संलग्न रह कर उच्च आयामों को प्राप्त करने में सक्षम रहेगा। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा का महत्व काफ़ी बढ़ गया है। ऐसे में महाविद्यालय में विशेषकर शिक्षक/शिक्षिकाओं का गुरुतर दायित्व बढ़ा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, शासन, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर आदि लगातार उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने के दिशा निर्देश दे रहे हैं। प्रबन्धतन्त्र ने भी इस सामयिक चुनौती का सामना करने का संकल्प लिया है।
महाविद्यालय में प्रवेश, ज्ञान प्राप्त करने का पहला चरण है। यह वह समय है जब छात्र-छात्राएं पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त कर सामाजिक-दायित्व एवं राष्ट्र-निर्माण के पथ पर क़दम रखते हैं। आज आवश्यकता है कि युवकों के साथ-साथ युवतियों को भी शिक्षित करते हुये आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाया जाय। इक्कीसवीं शताब्दी के भारत का गौरवपूर्ण इतिहास हमारे छात्र-छात्राओं द्वारा ही लिखा जायेगा, इसमें किंचित भी संदेह नहीं है।
मुझे पूरा यक़ीन है कि श्री अभय प्रताप सिंह, सचिव प्रबन्ध समिति के वरद हस्त एवं कुशल प्रशासन द्वारा छात्र-छात्राओं का शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से सर्वांगीण विकास होगा। फतेहपुर नगर एवं विश्वविद्यालय में सर्वश्रेष्ठ महाविद्यालय का गौरव अर्जित करते हुये उत्कृष्ट अनुशासन शिक्षण वातावरण प्राप्त कर सर्वश्रेष्ठता का शाश्वत स्वरूप पाकर यश-कीर्ति का पताका फहरायेगा।